सोमवार, अप्रैल 12, 2010

इश्क के समंदर में

इश्क के समंदर में खो गया मैं कहीं
दूंढ़ लाओ खोज लाओ कहीं से तुम मुझे

समंदर की गहरे नापते हुए बीत गई सदियाँ
फिर भी तलछट इसकी मैं खोज पाया

खुदा मुझे गहराई में पहुचने से पहले निकाल ले
इसके अंत के साथ तेरी सीमाएं भी ख़त्म हो जाती हैं
फिर तू ही बता कौन मुझे बचाएगा .
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विक्रमादित्य मीना
एमएनआईटी, जयपुर

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