इश्क के समंदर में खो गया मैं कहीं
दूंढ़ लाओ खोज लाओ कहीं से तुम मुझे
समंदर की गहरे नापते हुए बीत गई सदियाँ
फिर भी तलछट इसकी मैं न खोज पाया
ऐ खुदा मुझे गहराई में पहुचने से पहले निकाल ले
इसके अंत के साथ तेरी सीमाएं भी ख़त्म हो जाती हैं
फिर तू ही बता कौन मुझे बचाएगा .
-
विक्रमादित्य मीना
एमएनआईटी, जयपुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें