जिन रास्तों से गुजरे 'राम'
वहाँ झुलसे हुए कई और भी थे!
भीड़ अगर परछाइयों को छोड़ देती
वहाँ गुलशन कई और भी थे!
वहाँ गुलशन कई और भी थे!
हर बार अलग अलग नामों से लुटे हम
आज खुद ही लूटेरे बन गए तो किस्से कहते !
हम भी शहीद होते मात्रभूमी के लिए
मगर लोग काफ़िर कहते!
आज खुद ही लूटेरे बन गए तो किस्से कहते !
हम भी शहीद होते मात्रभूमी के लिए
मगर लोग काफ़िर कहते!
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